असल में सफलता की कोई परिभाषा नहीं है। अलग-अलग लोगों के लिए इसकी परिभाषा भी अलग है। ऐसे में हम यह जरूर कह सकते हैं कि व्यक्ति ने जीवन में जो भी लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे पा लेना ही उसके लिए सफलता है। जैसे, किसी के लिए नौकरी मिलना सफलता है, तो किसी के लिए किताब लिखना सफलता।
सफल होने के बाद अगर आप अंहकार से भर जाते हैं या आपको लगने लगता है कि दुनिया में आपके जैसा कोई नहीं है, तो आप लक्ष्य प्राप्ति से मिलने वाली खुशी से दूर रह जाते हैं। ऐसे में आपकी सफलता अधूरी या इसे असफलता ही कहा जाएगा क्योंकि सफलता से सकारात्मक भाव आना चाहिए लेकिन अंहकार एक नकारात्मक भाव है।
किसी को दुख पहुंचाना
जीवन में किसी को ठेस पहुंचाना सबसे बड़ा अधर्म है यानी अगर कोई आपका अहित नहीं करता फिर भी आप अपने स्वार्थ से उसे दुख पहुंचाते हैं, तो आप सफलता का सही अर्थ समझ ही नहीं पाए हैं। ऐसे में कोशिश करें कि सफल होने के बाद किसी को ठेस न पहुंचा दें।
किसी को कम आंकना
आप खुद को सबसे समझदार समझ सकते हैं लेकिन कभी भी किसी को बुद्धिहीन न समझें। किसी को कम आंकते हुए उसे कभी बुरा महसूस न कराएं। ऐसा करने से सफल होने के बाद भी आपका आदर दूसरों की नजरों में कम होता है।
दूसरों के साथ बुरा व्यवहार
लक्ष्य प्राप्ति का अर्थ संसार को जीत लेना नहीं है। ऐसे में आपको अति से बचते हुए दूसरों के साथ बुरे व्यवहार से बचना चाहिए। विनम्र रहते हुए परिस्थिति का सामना करने की कोशिश करें। वहीं, जाने-अनजाने किसी भी व्यक्ति से बुरा व्यवहार न करें। अगर किसी ने आपके साथ अतीत में कुछ बुरा किया है, तो इसे भूलकर अपनी सफलता से सीखें और आगे बढ़ें।
No comments:
Post a Comment